Tuesday, 29 January 2013

असली चेहरा


आदमीं भटकाव में जी रहा है। वह किसी दूसरे को भटकाने के ताव में है। और कोई उसको। आदमी एक असली चहरे पर अनेक झूठी मुखौटे लगा रखा है। यह तय करना मुश्किल है कि, असल में आदमी का असली चेहरा कौन-सा है? वह अपना चेहरा और मुह तो भिन्न-भिन्न लोगो के लिए भिन्न-भिन्न बना रखा है।

थोडा सोचो! अगर परमात्मा तुमसे मिल जाये, तो तुम कौन-सा चेहरा उसको दिखाओगे? वह जो अपनी पत्नी को दिखाते हो? या, वह जो अपने नौकर को दिखाते हो? कि वह जो अपनी प्रेयेसी को दिखाते हो? या, वह जो अपने मालिक को दिखाते हो? या, वह जो दिन, दरिद्र या गरीब को दिखाते हो?  कि वह चेहरा जो कमजोर को दिखाते हो? या, वह जो अपने से शक्तिशाली को दिखाते हो? कौन-सा तुम्हारा असली चेहरा है, जिसे तुम परमात्मा को प्रस्तूत करोंगे? यह सारे चहरे तो बनावटी और झूठी है। इतने चेहरों का तुमने मुखौटा पहना है कि असली चेहरा कौन है, भूल ही गये हो।

अपने से दिन, दरिद्र, गरीब और कमज़ोर देखते हो तो बरस पड़ते हो। और अपने से शक्तिशाली को देखते हो तो खुशामत में लग जाते हो। ऐसे झूठी मुखौटे और झूठी मुह वाले इंसान का अपना खुद का कोई अस्तित्व नहीं होता। अपनी झूठी शान-शौकत के लिए तुमने अपना ज़मीर दाव पर लगा दिया। अब अगर परमात्मा तुम्हारे सामने खड़ा है, तो तुम्हे इतनी तकलीफ़ क्यों हो रही है, असली चेहरा लाने में? इंसान दुनिया से झूठ बोलकर सत्य को छुपा सकता है, लेकिन अपने से नहीं। हर इंसान के अंदर चाहे अच्छा हो या बुरा , आत्मा और परमात्मा का निवास होता है। इंसान का ज़मीर जब खुद से सवाल पूछता है, तो इंसान नशे का सहारा लेता है, ताकि वह अपने को कुछ क्षण के लिए भूल जाये। लेकिन, उपरी आवरण ओढ़ने से या झूठ बोलने से, इससे निज़ाद नहीं पाया जा सकता है।

जिस दिन तुम्हारा भ्रम टूटेगा और असली चेहरे का साक्षात्कार होगा, उसी दिन से तुम्हारे अंदर दैविक परिवर्तन प्रारंभ हो जायेंगा, और परमात्मा तुम्हे अंगीकार कर लेगा। जो आदमी किसी की  स्तुति मागता है, वह कही न कही, किसी की स्तुति या खुशामद कर रहा होगा। लेकिन जिस आदमी ने ठीक से अपने को देखा है, वह न तो किसी की स्तुति करता है, और न  किसी की स्तुति की अपेक्षा करता है। एक ही परमात्मा है, उसी की स्तुति हो जाये तो काफ़ी है। वह किस से स्तुति क्यों मांगे? क्योकि वही  एक चारो तरफ है।

सत्य के सामने जब आदमी खड़ा होता है, तो पाता  है कि उसके कोई भी सांसारिक चेहरे काम के नहीं। सभी गंदे और सभी झूठे है। खोजो उस चहरे को, जो जन्म से पहले तुम्हारे साथ था। खोजो उस चहरे को, जो मरने के बाद तुम्हारे साथ होगा। बीच से सब चेहरे झूठे है। अपनी असली चेहरे के साथ जियो, जीना आसान हो जायेंगा। नकली चेहरा बनाना कठिन काम है, असली चेहरा स्वाभाविक और आसान है।


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