Published in Dainik Awantika,21 Dec 2012
माया कैलंडर के अनुसार 21 दिसम्बर 2012 को दुनिया का विनाश हो जायेंगा। निबुला पृथ्वी से टकराएगा और सब कुछ ख़त्म। हालाँकि वैज्ञानिको ने इन सब बातों को एक अफ़वाह से ज्यादा कुछ नहीं मानते। माया कैलंडर, हो सकता हो किसी और की तरफ़ इशारा कर रहा हो। माया कैलंडर माया लोगो द्वारा बनाया गया था। यह भी हो सकता है कि, वे सिर्फ अपने समुह की बात कर रहे हो। बात जो भी हो, अब 21 दिसम्बर नजदीक है, सब पता चल जायेंगा। भारतीय पंडितो का मानना है कि, वर्ष 2012, परिवर्तन का वर्ष है। इस वर्ष, हमने अनेक प्रकार के घटनाए सुनी, देखी और पढ़ी। बड़े-बड़े घोटाले सामने आये, आतंकवाद, आन्दोलन सब हुए। कई प्रकार के दुर्घटनाओ में अनेक लोगो की जाने गयी, कई देशो को प्राकृतिक आपदाओ का भी सामना करना पड़ा। तीर्थ स्थानों की यात्रा में भी कई लोगो ने जान गवाई। तीर्थ यात्रा तो शुभ होनी चाहिए, लेकिन दुर्घनाए हुई। क्या यह प्रकृति के नाराज़गी का संकेत है? क्या यह लोगो को सचेत कर रही है कि प्रकृति के सम्मान में ही जीव का अस्तित्व है, अन्यथा विनाश!
संस्कृत में माया का अर्थ होता है, भ्रम। इसका दूसरा अर्थ-- जो मापा जा सके वह माया। क्यों नहीं हम 21 दिसम्बर 2012 को माया यानि भ्रम के विनाश का दिवस माने, और अपने मन में जो भ्रम हो उसका विनाश करके, अपने सही कर्मो का माप करे, ताकि हमारी असली औकात, असली व्यक्तिव सामने आये और स्वयं का साक्षात्कार हो। सारे धर्मो के सारे रास्ते स्वयं के साक्षात्कार पर ही संपन्न होते है। दिखावेपन में आदमी को कभी भी आंतरिक शांति प्राप्त नहीं हो सकती। क्यों न हम झूठी दिखावेपन से ऊपर उठकर, अपने असलियत का आनंद ले। इससे पहले की कोई दूसरा हमारा हिसाब-किताब करे, क्यों न हम स्वयं ही अपना सही हिसाब-किताब रखे। ताकि झूठेपन और दिखावेपन के पकडे जाने का भय ही न रहे। सचा और ज्ञानी इंसान वह है, जो मौत के घड़ी में भी भयभीत नहीं होता है। हमे तो भय है माया के खो जाने का, अहंकार के गिर जाने का, झूठे के टूट जाने का। और यदि यह सब एक बार खो गया, तो फिर कुछ नहीं रहता है खोने को, उसके बाद तो हर चीज़ पाने जैसी लगती है। हर जीव समान दिखता है, हर तरफ आनंद बिखरा दिखता है, और हर तरफ परमात्मा का आभास होता है।
माया कैलंडर के अनुसार 21 दिसम्बर 2012 को दुनिया का विनाश हो जायेंगा। निबुला पृथ्वी से टकराएगा और सब कुछ ख़त्म। हालाँकि वैज्ञानिको ने इन सब बातों को एक अफ़वाह से ज्यादा कुछ नहीं मानते। माया कैलंडर, हो सकता हो किसी और की तरफ़ इशारा कर रहा हो। माया कैलंडर माया लोगो द्वारा बनाया गया था। यह भी हो सकता है कि, वे सिर्फ अपने समुह की बात कर रहे हो। बात जो भी हो, अब 21 दिसम्बर नजदीक है, सब पता चल जायेंगा। भारतीय पंडितो का मानना है कि, वर्ष 2012, परिवर्तन का वर्ष है। इस वर्ष, हमने अनेक प्रकार के घटनाए सुनी, देखी और पढ़ी। बड़े-बड़े घोटाले सामने आये, आतंकवाद, आन्दोलन सब हुए। कई प्रकार के दुर्घटनाओ में अनेक लोगो की जाने गयी, कई देशो को प्राकृतिक आपदाओ का भी सामना करना पड़ा। तीर्थ स्थानों की यात्रा में भी कई लोगो ने जान गवाई। तीर्थ यात्रा तो शुभ होनी चाहिए, लेकिन दुर्घनाए हुई। क्या यह प्रकृति के नाराज़गी का संकेत है? क्या यह लोगो को सचेत कर रही है कि प्रकृति के सम्मान में ही जीव का अस्तित्व है, अन्यथा विनाश!
संस्कृत में माया का अर्थ होता है, भ्रम। इसका दूसरा अर्थ-- जो मापा जा सके वह माया। क्यों नहीं हम 21 दिसम्बर 2012 को माया यानि भ्रम के विनाश का दिवस माने, और अपने मन में जो भ्रम हो उसका विनाश करके, अपने सही कर्मो का माप करे, ताकि हमारी असली औकात, असली व्यक्तिव सामने आये और स्वयं का साक्षात्कार हो। सारे धर्मो के सारे रास्ते स्वयं के साक्षात्कार पर ही संपन्न होते है। दिखावेपन में आदमी को कभी भी आंतरिक शांति प्राप्त नहीं हो सकती। क्यों न हम झूठी दिखावेपन से ऊपर उठकर, अपने असलियत का आनंद ले। इससे पहले की कोई दूसरा हमारा हिसाब-किताब करे, क्यों न हम स्वयं ही अपना सही हिसाब-किताब रखे। ताकि झूठेपन और दिखावेपन के पकडे जाने का भय ही न रहे। सचा और ज्ञानी इंसान वह है, जो मौत के घड़ी में भी भयभीत नहीं होता है। हमे तो भय है माया के खो जाने का, अहंकार के गिर जाने का, झूठे के टूट जाने का। और यदि यह सब एक बार खो गया, तो फिर कुछ नहीं रहता है खोने को, उसके बाद तो हर चीज़ पाने जैसी लगती है। हर जीव समान दिखता है, हर तरफ आनंद बिखरा दिखता है, और हर तरफ परमात्मा का आभास होता है।
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