Wednesday 7 August 2013

अभी पूर्ण स्वतंत्रता दूर है...


अंग्रेज़ भारत मे व्यापार शुरू करने और रोज़ी-रोटी कमाने आए थे। उन्होने 1600 मे ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की। 1747 मे एक भारतीय रुपये की कीमत 2.8 पाउंड था। भारत की करेंसी बहुत मजबूत थी। भारत की भौगोलिक संरचना काफी लुभावनी है। यहा पर हर प्रकार की फसल उगाई जा सकती है। धार्मिक आस्था की भी अपनी मजबूत जगह थी। हर तरह से भारत विदेशियो को व्यापार करने को लुभाती रही है। लेकिन कुछ लोग लालच वश और ईर्ष्या वश अंग्रेजो के बहकावे मे गए, और अपने देश को गुलाम बनाने और अपने लोगो पर अत्याचार करने का दु:साहस किया। अंग्रेज़ इस चीज़ को भली-भाति समझ गए और बाटो और राज़ करो की नीति अपनाई। अंग्रेजो को पहली सबसे बड़ी सफलता 1757 मे पलासी के युद्ध के बाद मिली। फिर धीरे-धीरे समूचे भारत पर कब्जा कर लिया, और अपना ब्रिटिश राज घोषित कर दिया।

कुछ लोग अंग्रेजो के नीति और मंशा से वाकिफ थे, और शुरू से ही अंग्रेज़ और उनके नीतियो को विरोध करते रहे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुका था। भारत की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 मे मंगल पांडे के नेतृत्व मे प्रारंभ हुआ। मंगल पांडे को प्रथम स्वतंत्रता क्रांतिकारी भी कहा जाता है। इस संग्राम के बाद अंग्रेज़ पूरी तरह से हिल गए, उनको कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। लगभग भारत छोडकर जाने की तैयारी भी होने लगी थी। तभी उन्होने अंतिम प्रयास की और भारत  के कुछ राजाओ से बात की, और लालच देकर उनको अपने वश मे किया, इस तरह कुछ गद्दार और लालची लोगो ने अंग्रेजो को फिर से मदद करने आगे गए, और अपनी सेना और पैसो से अंग्रेजो का साथ दिया | परिणामस्वरूप,  मंगल पांडे और उनके साथी पकड़े गए, और उनको फांसी हो गई। फिर अंग्रेजो के आँख खूल गए। इस देश के लोगो को काबू मे करने के लिए नए-नए तरकीबे ढुढ़ने लगे। भारत मे सेना तो थी, मगर पुलिस नहीं थी। भारत का कोई ठोस कानून नहीं था। अब अंग्रेजो ने भारत पर राज़ करने के लिए भारत का कानून 1860 ई मे लंदन मे बनाया, जो की इंडियन पैनल कोड(आईपीसी) के नाम से जाना जाता है। इतने से काम नहीं बना तो उन्होने लोगो पर काबू पाने के लिए पुलिस और प्रशासनिक सेवाओ का आरंभ किया। पुलिस कानून और प्रशासनिक कानून 1861 ई मे लागू किया गया, ताकि लोगो को पूरी तरह काबू किया जा सके। यह अंग्रेजो द्यारा बनाया कानून आज भी हमारे देश मे चलता है, और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले को दमन करने का काम करता है।

अब तक अंग्रेजो ने अपने अत्याचार और लूट-पाट से भारत को तोड़ चुके थे। क्रांति चलती रही, स्वतंत्रता की माग होती रही, करोड़ो कुर्बानियो के बाद 15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद हो गया। इस समय तक पाउंड का कीमत बढ़ गया और रुपया कमजोर हो गया। 1947 मे एक पाउंड का कीमत 5 रुपए हो गया। उसके बाद से आज तक रुपये की कीमत पाउंड के मुकाबले कमजोर होती रही है। यह जो हमे आज़ादी मिली है, वह सिर्फ राजनीतिक आज़ादी है। अभी  असली आज़ादी तो बाकी है। हम आज भी सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और मानसिक रूप से गुलाम है। हम बटे हुए है। आज भी अंग्रेजो की नीति इधर काम कर रही है। आज भी हम लालच के शिकार है, मानसिक रूप से रुग्ण है। हमारे पूर्वजो ने हमे राजनीतिक आज़ादी दिलाई, अब यह  हम सब का कर्तव्य है, कि इस देश से सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और मानसिक गुलामी को समाप्त कर दे। 

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